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वोट चोरी पर देश भर में घमासान
अपनी दलीलों से ही फंसता जा
रहा है चुनाव आयोग
विशेष संवाददाता
शिमला
: जिस प्रकार से वोट चोरी का मामला कांग्रेस पार्टी ने देश भर में उठा
रखा है। उससे पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि पिछले वर्षों
में मोदी का जादू कहकर जिस बात का प्रचार किया गया वह दरअसल में वोट चोरी थी।
वोट चोरी का मामला इसलिए भी तूल पकड़ गया क्योंकि जो वोट चोरी के आरोप कांग्रेस
के नेता राहुल गांधी क्रमवार लगा रहे हैं उसमें चुनाव आयोग या तो बचकर निकलने
का प्रयास कर रहा है या फिर उल्टी सीधी दलीलें जनता के सामने पेश कर रहा है।
चुनाव आयोग लोगों का विश्वास जीतने के स्थान पर ऐसे तर्क दे रहा है जिससे वह और
अधिक फंसता जा रहा है। भाजपा जिस प्रकार चुनाव आयोग की प्रवक्ता बनकर सामने आ
रही है उससे चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत भी लोगों को दिखने लगी है।
यहां यह बात भी सोलह टके सही है कि जब तक चुनाव आयोग को विश्वसनीय और पारदर्शी
नहीं बनाया जाता है तब तक देश में लोकतांत्रिक ढंग से हुए चुनाव का सपना नहीं
देखा जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार यदि वास्तव में सही हैं तो
वह उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करके उन्हें नौकरियों से
बर्खास्त क्यों नहीं करते जिनकी वजह से मतदाता सूचियों में मरे हुए जिंदा और
जिंदा मरे हुए दर्शाए गए हैं। चुनाव आयोग के ऊपर अनियमितताओं की झड़ी राहुल
गांधी और विपक्षी नेताओं ने लगा दी है और यह बात पूरे देश में गूंज रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को चाहिए कि वह सबसे पहले अपने ऊपर से सरकारी
दबाव को खत्म करें। सुप्रीम कोर्ट और विपक्ष से भिड़ने की बजाए साफ सुथरी वोटर
लिस्ट बिहार की और उसके बाद हर उस राज्य की जहां निकट भविष्य में चुनाव होने
वाले हैं तैयार करवाए। मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी जिन सरकारी कर्मचारियों
की लगाई है वह घर घर जाकर वोट बनवाएं। लोगों की आपत्तियां बुलवाकर पारदर्शी
तरीके से चुनाव करवा दें।
यदि चुनाव आयोग ऐसा नहीं करता है तो फिर ज्ञानेश कुमार की मुश्किलें काफी बढ़ने
वाली हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देश के लोकतंत्र के पहले पायदान पर
चुनाव आयोग ही बैठा है जो देश में सरकारों का गठन करवाता है और अब लोग चुनाव
आयोग को बक्शने वाले नहीं है।
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