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प्रदेश सरकार बना रही है लोगों की जमीने हड़पने वाला कानून

सरकार से अपनी जमीन मांगी तो जाना पड़ेगा जेल

विशेष संवाददाता

     शिमला : प्रदेश सरकार भूमि से संबंधित कानून बनाकर लोगों को डरा रही है। सरकार ने इसी मानसून सत्र में यह कानून बना दिया है कि प्रदेश सरकार ने कोई भी जमीन किसी से हथिया ली है तो उसे वापस नहीं लिया जा सकेगा। इसमें किसी भी तरह की जमीन पर यदि इसमें कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है तो भी इसे वापस क्लेम नहीं किया जा सकेगा।
     यही नहीं किसानों को डराने के लिए यह प्रावधान भी रखा गया है कि राज्य में इस प्रकार के मामलों में क्लेम करने को लोक उपयोगिताओं में बाधा डालने के समान माना जाएगा और इसमें छह महीने की सजा और 2000 से 10000 रुपए तक के जुर्माना करने का प्रावधान भी किया जा रहा है। मतलब स्पष्ट है कि गलत तरीके से किसान की जमीन भी कब्जा ली जाएगी और उसके लिए लड़ने पर उसे जेल भी भेज दिया जाएगा तथा जुर्माना भी लगा दिया जाएगा। हिमाचल में एक ओर तो कई वर्षों से अतिक्रमण की गई वन भूमि पर बनाए गए सेब के बगीचों को गिराए जाने की लड़ाई चल रही है दूसरी तरफ सरकार गलत तरीके से कब्जाई गई निजी भूमि पर क्लेम करने पर पाबंदी लगाने का कानून बना रही है।
     कहते हैं कि सरकार धड़ा धड़ स्कूलों को बंद कर रही है। कई लोगों ने स्कूल, अस्पताल और अन्य उपयोगिता के लिए अपनी निजी भूमि सरकार को दी है। इनमें कुछ जमीनें जबरन भी तत्कालीन अधिकारियों ने बिना एग्रीमेंट के सरकार के नाम कर दी हैं। अब सरकार इन जमीनों पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए कह रही है कि इन पर कोई व्यक्ति अपना क्लेम नहीं कर सकता है। इससे लगता है कि सरकार इन जमीनों को परपज़ डिफीट (मकसद बदलकर) कर इनका अन्यत्र उपयोग करने की मंशा पाले हुए है। कानूनी प्रावधान यह है कि जिस मकसद के लिए सरकार ने निजी जमीन ली है या सरकार ने छीन ली है उसे बनाए रखने की शर्त को गैर संवैधानिक तरीके से डराधमका कर सरकार अपने कब्जे में रखना चाहती है, तभी उसने क्लेम करने वालों को सजा और जुर्माने का कानून बनाने का प्रयास किया है।
     फिलहाल विधानसभा में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस बिल को रखा है। जिसमें कहा गया है कि हिमाचल सरकार को किसी पब्लिक यूटिलिटी, भवन, सड़क या अन्य जनसुविधा को बनाने के लिए दी गई जमीन को अब वापस नहीं लिया जा सकेगा। यदि इस तरह का क्लेम किसी ने किया तो उसके खिलाफ अब सजा का प्रावधान किया जा रहा है। राज्य सरकार ने विधानसभा में एक नया बिल प्रस्तुत किया है, जिसका नाम ‘हिमाचल प्रदेश लोक उपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिषेध विधेयक 2025 रखा गया है। इसमें यह व्यवस्था की जा रही है कि सड़क, स्कूल, अस्पताल या अन्य पब्लिक यूटिलिटी के लिए किसी प्रकार का व्यवधान किया गया, तो सजा का प्रावधान रखा गया है।
     जब सरकार के पास किसी भी भूमि को लोक उपयोगिता में अधिग्रहण करने की कानूनी ताकत है तो इस बिल को लाने का मकसद यही लगता है कि सरकार अब लोगों की जमीन का पैसा भूमि अधिग्रहण करके नहीं देना चाहती है। प्रदेश सरकार का यह कानून लोगों की ज़मीने मुफ्त में हड़पने का कानून साबित होगा। सरकारी अधिकारी जबरन किसी भी भूमि पर अपनी योजनाएं खड़ी कर देंगे और जब वह इसका विरोध करेगा तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा। यह कानून आम जनता के संपत्ति रखने और उसकी सुरक्षा करने के अधिकार के खिलाफ बनाया जा रहा कानून है। इसमें समय रहते प्रदेश हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को स्यूमोटो कान्गनीजेंस लेकर तुरंत प्रभाव से रद्द करने की कार्यवाही शुरू कर देनी चाहिए और लोगों के कानूनी अधिकार की सुरक्षा करनी चाहिए। क्योंकि विपक्ष की कमजोर आवाज लोगों के काम नहीं आएगी।

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