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पाकिस्‍तान में आतंकी गतिविधियां फिर तेज

पाक आतंकवादी संगठन बड़ी फंडिंग जुटा रहे हैं...

     ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तानी की आतंकवादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पाकिस्तान को जो आईएमएफ का लोन आपरेशन सिंदूर के समय मंजूर हुआ था उसका एक हिस्सा पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय सेना के हमले में तबाह हुए आतंकवाद के शिविरों को पुनर्स्थापित करने के लिए दिया था। अब जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान की डिजिटल वॉलेट सेवाओं ईजीपैसा और सादापे के जरिए फंड जुटाने का कार्य शुरू कर दिया है।
     एक बार फिर पाकिस्तान की आतंक पर कथित कार्रवाई का सच सामने आ रहा है। कहते हैं भारत की खुफिया एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान की डिजिटल वॉलेट सेवाओं ईजीपैसा और सादापे के जरिए करीब 3.91 अरब रुपए (पीकेआर 391 करोड़) का फंड जुटाने का अभियान शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान में अपनी गतिविधियों को फैलाने के लिए गुप्त रूप से एक बड़े फंडरेजिंग अभियान की साजिश भी रची थी।
     खुफिया सूत्रों के अनुसार, संगठन का मकसद पीकेआर 3.91 अरब रुपए जुटाकर पाकिस्तान भर में 313 नए मरकज (ट्रेनिंग कैंप और सुरक्षित ठिकाने) स्थापित करना था। जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल सैफ ने अभियान का नेतृत्व किया और समर्थकों से बढ़-चढ़कर दान करने की अपील की है। इसके लिए आतंकी संगठन डिजिटल वॉलेट्स जैसे ईजीपैसा और सदापे का इस्तेमाल कर रहे है ताकि इसके किसी भी लेन-देन को एफएटीएफ की निगरानी से बचाया जा सके।
     जांच में सामने आया कि ये डिजिटल वॉलेट्स मसूद अजहर के परिवार से जुड़े मोबाइल नंबरों पर रजिस्टर्ड थे, जिनमें उसके भाई तल्हा अल सैफ और बेटे अब्दुल्ला अजहर के नंबर भी शामिल थे। इसके अलावा, हर शुक्रवार पाकिस्तान की मस्जिदों में गाजा के लिए चंदा बताकर नकद धन जुटाया गया जबकि असल में ये रकम जैश की आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुई। इसी दौरान अल रहमत ट्रस्ट, जो जैश से जुड़ा हुआ संगठन है, बहावलपुर स्थित एक बैंक खाते के जरिए भी धन इकट्ठा कर रहा था। यह ट्रस्ट खुद मसूद अजहर और उसके नजदीकी सहयोगी चलाते हैं। यह बात भी तय मानी जा रही है कि अजहर मसूद की तमाम गतिविधियां भारत में आतंकवाद फैलाने के पर ही रही हैं।
     इस फंडरेजिंग अभियान के आगे बढ़ते ही जैश नेताओं ने खुलासा किया कि नए बनाए जा रहे मार्कज मसूद अजहर और उसके परिवार के लिए सुरक्षित ठिकाने साबित होंगे, जिससे वे अपनी मौजूदगी छिपाकर रख सकें। इन्हीं ठिकानों का अब अपने नए हथियारों और विस्तारित ढांचे के साथ जैश-ए-मोहम्मद एक नई आतंकी लहर छेड़ने की तैयारी में है। संगठन के नेताओं को भरोसा है कि उनकी फंडिंग व्यवस्था और गुप्त कम्युनिकेशन चैनल्स की वजह से उनकी गतिविधियां लंबे समय तक नजरों से बची रहेंगी। इस फंड का इस्तेमाल नए आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण के लिए भी किया जाना था।
     आरेशन सिंदूर के समय माना जा रहा था कि भारत ने पाकिस्तान के बड़े आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया है और यही वजह थी कि भारत ने सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ही ऑपरेशन सिंदूर को चलाया था। लेकिन जिस प्रकार से पाकिस्तान में आतंक के लिए फंडिंग हुई है उससे लगता है कि पाकिस्तान अपनी आतंकवादी गतिविधियों को और अधिक तेजे से बढ़ाएगा। यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान की बढ़ती जा रही आतंवादी गतिविधियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ ही होगा। जिस प्रकार की खबरें पाकिस्तान के बारे में आ रही हैं उसे देखकर लगता है कि यदि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां जारी रखी तो इसका अंत दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध के बाद ही होगा और लगता है कि इसका अंदाजा सभी को है।

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