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संपाकीय

नेहरू की अंदेखी का पापकाल

     आज भारत जिस भी बुरी स्थिति में है उसे पं. जवाहर लाल नेहरू के अंदेखी का पापकाल भी कहा जा सकता है। नेहरू के समय में भारत के जो दुश्मन देश थे आज भी वह भारत के दुश्मन ही हैं। रूस भारत का पहले भी मित्र था और अब भी है। कहा जा सकता है कि पं. नेहरू की अनदेखी का पापा आज भारत वर्ष पूरे विक्राल रूप में देख रहा है। फर्क इतना भर है कि इस समय देश का नेतृत्व श्री नरेन्द्र मोदी के हाथ में है जो देश के लांकतंत्र तो क्या अपनी पार्टी के लोकतंत्र से भी भटक चुके हैं और कदम कदम पर गलत फैसले लिए जा रहे हैं।
     जब देश आजाद हुआ था तो पं. नेहरू ने देश का संचालन अंग्रेजों को कोसने से शुरू नहीं किया था। उन्होंने देश के चारों कोने में विकास के नए नए मील के पत्थर स्थापित किए जिसमें सबसे बड़ काम देश के जल प्रबंधन को देश के चारों कोनों में बांध बनाने की योजना से शुरू किया। स्वास्थ्य सेवाएं देशवासियों को निशुल्क मिल सकें इसके लिए आईडीपीएल जैसी सरकारी दवा कंपनी और एम्स जैसे अस्पताल देश के चारों हिस्सों में स्थापित किए। युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए आईआईटी चारों कोनों में स्थापित की। परमाणू शक्ति बनाने वाले संस्थान, सेना को मजबूत बनाने वाले संस्थान पं. नेहरू की ही देन थी। बाकि पं. नेहरू के काम अब कांग्रेस पार्टी देश भर में गिना ही रही है।
     उपरोक्त बातों से अंदाज लगाया जा सकता है कि पं. नेहरू भूखे नंगे देश को क्या बनाना चाहते थे। गांधी जी के सपनों की बात हम इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके सपनों के भारत का कत्ल उसी दिन हो गया था जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। अब देश को बनाने की जिम्मेदारी पं. नेहरू के कंधों पर आ गई थी। सरदार पटेल भी 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के कुछ दिन बाद ही इस दुनियां को अलविदा कह गए थे। देश को संभालने की चुनौती सिर्फ नेहरू पर थी।
     इस देश का पतन उसी दिन शुरू हो गया था जब भारत सरकार ने उनके सपनों को तोड़ना शुरू कर दिया था। नेहरू अपने जीते जी जो काम कर गए थे उन्हें आगे बढ़ाने की योजनाओं पर रोक लगानी शुरू कर दी थी। जितनी भी सरकारें आई उन्होंने पं. नेहरू के सपनों के साथ विश्वासघात किया। अब तो हम यही कह सकते हैं कि नेहरू की अंदेखी का पाप देशवासी अब भुगत रहे है, इसीलिए हम इसे पापकाल कह रहे हैं। जो अमेरिका भारत के कुशल युवाओं को अपने पास आने का बुलावा भेजता था वह हमारे युवाओं को अपराधियों की तरह खदेड़ रहा है। चीन भारत के बाजार पर कब्जा कर चुका है। यह कब्जा इसलिए हुआ क्योंकि नेहरू के समय शुरू हुए लघु और कुटिर उद्योग की गर्दन हमने बहुत पहले मरोड़ दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो अभी जुम्मा जुम्मा 11 साल पहले ही अपने मित्रों के साथ देश को लूटने आए हैं। इससे पहले ही भारत की दुर्दशा हो चुकी थी। मोदी यदि सत्ता में न आते तो पं. नेहरू के नाम लेवा इस देश में खत्म हो चुके थे। मोदी की कमी यह है कि वह इतने शिक्षित नहीं हैं जो इतने बुरे समय में देश को पं. नेहरू की तरह निकाल पाते।

 
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