हिमाचल प्रदेश
में सेब की फसल पर चल रही आरी रुकी
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई
रोक...
हिमाचल प्रदेश में सेब की खड़ी
फसल पर चलने वाली आरी फिलहाल रुक गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में
हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर बागवानों को राहत प्रदान कर दी है। वन भूमि से
अवैध कब्जे हटा जाने को लेकर सेब के पेड़ों पर आरी चला दी गई थी। हिमाचल प्रदेश
हाई कोर्ट इस बारे में पहले भी कई बार प्रदेश सरकार को आदेश कर चुका था लेकिन
इस बार सख्ती से आदेश लागू करने के कारण सेब की खड़ी फसल पर ही सरकारी अधिकारियों
ने आरी चलवा दी है। हाई कोर्ट का आदेश सिर्फ शिमला तक ही सीमित नहीं रहा है। जहां
भी वन भूमि पर कब्जा किया गया है उसे हटाने के सख्त आदेश प्रदेश सरकार और विभागों
को दिए गए हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और
मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाने के बाद बागवानों को इतनी राहत मिल गई है कि वह
अपनी इस बार की फसल को बेच सकेंगे। वन भूमि पर अवैध कब्जों को हटाए जाने को
लेकर सेब की खड़ी फसल को काटने की पीड़ा जहां उस अवैध वन भूमि पर सेब का बगीचा
लगाने वालों को हो रही थी। वहीं प्रदेश सरकार में भी हाई कोर्ट के आदेश से खलबली
मची हुई थी। प्रदेश सरकार के राजनेता से लेकर कानूनविद इस युक्ति में लगे हुए
थे कि किस प्रकार हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष
अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की जाए ताकि बागवानों को हाई कोर्ट के सख्त आदेश
से कुछ राहत मिल सके।
आखिर सरकार को इसमें सफलता मिल गई और हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने
रोक लगा दी है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी सेब के पेड़ काटेन जाने के
मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही थी। उन्होंने पहले ही
जानकारी दी थी कि इस मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी बैठकें भी हुई।
पत्रकारों से बातचीत में जगत सिंह नेगी ने कहा था कि बरसात में सेब के पेड़ों के
कटान से सरकार चिंतित है। सरकार फोरेस्ट एक्ट 1980 में संशोधन को लेकर भी
केंद्र से मांग उठा रही है। यह भी कहा गया कि सरकार इस मामले में गोवर्मन केस
का हवाला देकर याचिका दायर करने जा रही है। यह अधिनियम केन्द्र सरकार ने संसद
में पास करवाया है और इसमें हिमाचल सरकार सिर्फ केन्द्र सरकार से संशोधन किए
जाने का आग्रह ही कर सकती है। सरकार ने प्रदेश के भूमिहीनों जो लोग वन भूमि पर
जीवन निर्वाह कर रहे हैं उन लोगों से फोरेस्ट राइट एक्ट 2006 के तहत लाभ लेने
की अपील की है। इस एक्ट के तहत 2005 से पहले जिन लोगों का तीन पीढ़ियों से वन
भूमि पर कब्जा है वह उस भूमि को अपने नाम करवा सकते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट से
इस पर किस प्रकार का अंतिम फैसला आता है यह तो बाद में पता चलेगा। अब सुप्रीम
कोर्ट में एसएलपी पर सुनवाई चल रही है और सरकार को स्टे आर्डर मिल जाने से थोड़ी
सी राहत जरूर मिल गई है।
प्रदेश में भारी बाढ़ और बरसात के कारण सड़कें टूटीफूटी हो चुकी हैं। केन्द्र
सरकार की मदद के बिना प्रदेश की सड़कों को सुधारना बहुत मुश्किल है। मंत्री जगत
सिंह नेगी तो कहते हैं कि केंद्र सरकार पर आपदा राहत में मदद को लेकर हिमाचल के
साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि साल 2023 की आपदा के लिए स्वीकृत 1500
करोड़ की राहत राशि अभी तक पूरी नहीं मिली है। उसमें भी केंद्र सरकार ने शर्त रखी
है कि पहले राज्य को 500 करोड़ खर्च करने होंगे तभी केंद्र शेष राशि जारी करेगा।
प्रदेश में अभी लगभग दो सौ सड़कें बंद पड़ी हैं, वहीं एक नेशनल हाई-वे भी बंद है।
किन्नौर में भी समधो के पास सड़क बंद हुई है, जिससे खोला जा रहा है। सेब सीजन के
लिए सरकार की तैयारी लगातार चल रही है। बागवानों को किसी प्रकार से कोई परेशानी
न हो इस पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार कैसे भी करके सड़कों को ठीक कर
रही है।
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