राहत देने में हिमाचल को भूल जाता है केन्द्र
लगातार दो वर्ष के मानसून की मार पड़ी
है लोगों पर...
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने असम, मणिपुर,
मेघालय, मिजोरम, केरल और उत्तराखंड जैसे बाढ़ और भू-स्खलन प्रभावित राज्यों के
लिए 1,066.80 करोड़ रुपए की राशि जारी करने की मंजूरी दी है। इसमें केन्द्र
सरकार ने हिमाचल प्रदेश को शामिल नहीं किया है जबकि हिमाचल प्रदेश पिछले दो
वर्षों से भयंकर बाढ़ की तबाही को झेल रहा है और केन्द्र सरकार से गुहार लगा रहा
है कि उसे पिछली बरसात में करीब नौ हजार करोड़ का नुक्सान हो चुका है।
केन्द्र सरकार ने छह बाढ़ ने प्रभावित राज्यों में से असम को 375.60 करोड़ रुपए,
मणिपुर को 29.20 करोड़ रुपए, मेघालय को 30.40 करोड़ रुपए, मिजोरम को 22.80 करोड़
रुपए, केरल को 153.20 करोड़ रुपए और उत्तराखंड को 455.60 करोड़ रुपए राज्य आपदा
मोचन निधि (एसडीआरएफ) से केंद्रीय हिस्से के रूप में दिए गए हैं। अब भी हिमाचल
प्रदेश को इस सूची में क्यों शामिल नहीं किया गया है यह तो केन्द्र सरकार में
बैठे हिमाचल और केन्द्र की प्रतिनिधि ही बता सकते हैं।
केन्द्र का कहना है कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान अत्यधिक भारी
बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण ये राज्य प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के
मार्गदर्शन में केंद्र सरकार बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने से प्रभावित राज्यों को
हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हिमाचल को आर्थिक
संकट से उबारने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह स्वयं दिल्ली गए और केन्द्रीय
मंत्रियों से राहत की गुहार लगाई।
हिमाचल में पिछले दिनों आई बाढ़ में भारी नुक्सान हुआ है, खास तौर पर मंडी के
सिराज और थुनाग क्षेत्र। यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का चुनाव
क्षेत्र भी है। फिल्मी अभिनेत्री कंगना रणौत का भी यह संसदीय क्षेत्र है। भाजपा
के इन दोनों नेताओं ने अपने चुनाव क्षेत्रों में लोगों को राहत पहुंचाने में
काफी दौड़-घूप की लेकिन उन्होंने केन्द्र से बाढ़ के लिए कोई इस प्रकार का बढ़ा
पैकेज हिमाचल के लिए स्वीकार नहीं करवाया जैसे पिछले दिनों पांच राज्यों को बाढ़
आने की संभावना के चलते ही पहले जारी कर दिया गया। पिछले वर्ष तो पूरे हिमाचल
में बाढ़ ने जबरदस्त तांडव मचाया था। लेकिन इस वर्ष केन्द्र ने कोई ऐसा आर्थिक
पैकेज हिमाचल को नहीं दिया जो पिछले और इस वर्ष आई बाढ़ के नुक्सान को पूरा करने
के लिए काफी होता।
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