सोलन से होनी
चाहिए नेशनल हाई-वे की जांच
लगातार एक सप्ताह भी नहीं चल पाया है पूरा फोरलेन
हिमाचल के मंत्री और नेशनल हाई वे अथॉरिटी (एनएचएआई) के इंजीनियर के बीच
हुई कथित मारपीट का परिणाम यह निकला है कि अब प्रदेश सरकार ने एनएचएआई द्वारा
शिमला जिला में किए जा रहे नुक्सान पर कार्यवाही शुरू कर दी है। हलांकि इस
प्रकार की जांच पूरे प्रदेश में किए जाने की जरूरत है। क्योंकि एनएचएआई ने सबसे
अधिक कार्य सोलन जिला में किया है तो इस प्रकार की जांच सोलन जिला से की जानी
चाहिए थी। वरना यही संदेशा जाएगा कि मंत्री अनिरुद्ध सिंह के साथ हुई अभद्रता
का हिमाचल की सुक्खू सरकार बदला ले रही है।
एनएचएआई का रिकार्ड सबसे अधिक सोलन में खराब हुआ है, जहां फोरलेन बनाने का
कार्य पूर्ण होने की घोषणा एनएचएआई कर चुका है। इसी आधार पर एनएचएआई ने टोल
टैक्स वसूलना भी शुरू कर दिया है। जबकि एक सप्ताह भी पूरी फोरलेन कभी पूर्णतया
नहीं चल पाई है। जहां एक तरफ कोई मिट्टी गिर जाने या पहाड़ टूटकर सड़क पर आ जाने
के कारण अवरोध पैदा हो जाता है तो सड़क को दूसरी तरफ के टूलेन से चला दिया जाता
है। बस इसी तरह टू लेन चलाकर इसे फोरलेन नाम दे दिया गया है। एनएचएआई के
निर्माण कार्य से जो परवाणू से सोलन जिला की शिमला से छू रही सीमा तक जो लोगों
को नुक्सान हुआ है और लोगों ने जो शिकायतें की थी उस पर आज तक कोई सुनवाई नहीं
हुई है। लोगों की मांग है कि शिमला की तर्ज पर फोरलेने के कार्यों की समीक्षा
के लिए सोलन जिला में भी एनएचएआई की जांच शुरू की जाए ताकि एनएचएआई के कारण
वर्षों से नुक्सान झेल रहे लोगों को भी न्याय मिल सके।
फिलहाल शिमला के भट्टाकुकर में पांच मंजिला भवन के गिरने के बाद मंत्री और
एनएचएआई पर दर्ज हुई अलग-अलग एफआईआर के बाद जिला प्रशासन अपनी जांच में जुट गया
है। भवन गिरने की घटना की प्रशासनिक जांच अब विशेष कमेटी करेगी। डीसी शिमला के
अध्यक्षता में हुए बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी कानून एवं व्यवस्था की
अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जा रही है। यह कमेटी मकान गिरने के कारणों,
नुकसान और प्रभावित को सहायता मुहैया करवाने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट देगी।
नेशनल हाई-वे के साथ लगते घरों को भी फोरलेन निर्माण कार्य की कटिंग से अगर
खतरा है तो इस बारे में भी यह कमेटी विस्तृत रिपोर्ट देगी। लेकिन ऐसे कार्यवाही
सोलन जिला में नहीं की गई है। इसका कारण लोग यह बता रहे हैं कि शायद सोलन के
लोगों ने एनएचएआई के साथ कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है। शिमला में ऐसा हुआ है तो
वहां के लोगों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार आगे आ गई है। इस
प्रकार की जांच सोलन जिला में भी होनी चाहिए और यदि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों
जहां फोर लेने बन रहा है वहां से भी इस प्रकार की मांग उठती है तो उसे भी जांच
के दायरे में लिया जाना चाहिए।
उपायुक शिमला कहते हैं कि दूसरी कमेटी का गठन कैथलीघाट (जहां से जिला शिमला की
सीमा प्रारंभ होती है) से लेकर ढली तक चल रहे फोरलेन निर्माण कार्य की स्टेटस
रिपोर्ट को लेकर किया गया है। इस कमेटी का गठन अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी
प्रोटोकॉल ज्योति राणा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें 12 सदस्य होंगे। इस
कमेटी में लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई, पुलिस, निर्माण कर रही कंपनी सहित अन्य
हितधारकों की शामिल किया गया है। यह कमेटी कंपनी की ओर से किए जा रहे कार्य की
निशानदेही करेगी। अगर कंपनी द्वारा तय नियमों की पालना नहीं की होगी तो आगामी
कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। कैथलीघाट से ढली करीब 27 किलोमीटर का फोरलेन कार्य
जिला शिमला के अधीन आता है।
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