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चुनाव आयोग कोई
भी हो सुधर जाए, यह हो नहीं सकता
हिमाचल में भारतीय निर्वाचन आयोग
के डाटा से बना ली मतदाता सूची...
निर्वाचन आयोग सुधर जाए
यह कभी हो नहीं सकता। हिमाचल में पंचायती राज चुनाव करवाने के लिए राज्य
निर्वाचन आयोग ने पता नहीं कहां से मतदाता सूची उठा ली और उसे अंतिम प्रकाशन के
लिए लोगों के सामने रख दिया। स्वाभाविक है कि राज्स चुनाव आयोग ने यह गारंटी
कहीं नहीं दी है कि पहले जो अनियमितताएं चुनावों में होती रही हैं वह अब नहीं
होंगी। बिहार में मतदाता सुचियां तैयार करने में आ रही गड़बडियों से हिमाचल के
निर्वाचन आयोग ने कुछ नहीं सीखा है।
अब कहा जा रहा है कि मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन 13
नवंबर 2025 या इससे पूर्व कर दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज
संस्थाओं एवं शहरी निकायों के सामान्य निर्वाचन निकट भविष्य में होने हैं,
जिसके लिए वार्ड और मतदान केंद्र स्तर पर ड्राफ्ट मतदाता सूचियां तैयार की जा
चुकी हैं। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि यह मतदाता सूची बीएलओज
ने घर घर जाकर बनाई हैं या कहीं से कट पेस्ट के जुगाड़ से तैयार की गई हैं।
भले ही राज्य निर्वाचन आयोग यह बात छुपा रहा है कि बीएलओज ने मतदाता सूची घर घर
जाकर बनाई हैं या नहीं लेकिन मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन में इस बात का भंड़ा
फूट जाएगा कि बीएलओज मतदाता सूची बनाने घर घर नहीं गए हैं जब अधिकांशतः यह पाया
जाएगा कि एक ही परिवार के मतदाता एक साथ नहीं मिल रहे हैं।
भले ही मतदाता सूची बनाने की शुरुआत पूर्व निर्धारित
नियमों के अनुसार न की गई हो फिर भी बताया जा रहा है कि आयोग की ओर से तैयार की
गई ड्राफ्ट मतदाता सूचियों के अपडेशन के दावे और आक्षेप आमंत्रित करने के लिए
विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन छह
अक्तूबर, पुनरीक्षण प्राधिकारी के समक्ष दावे एवं आक्षेप दायर करने का अवधि 8
से 17 अक्तूबर होगी। पुनरीक्षण प्राधिकारी की ओर से दावे एवं आक्षेप का निपटारा
दावे एवं आक्षेप दर्ज करने के 10 दिनों के भीतर होंगे। पुनरीक्षण प्राधिकारी के
आदेश के विरुद्ध अपील दायर करने की अवधि आदेश जारी करने के 7 दिनों के भीतर,
अपीलीय प्राधिकारी की ओर से अपील का निपटारा अपील दायर करने के 7 दिनों के भीतर
और मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन 13 नवंबर 2025 या इससे पहले होगा।
हैरानी की बात तो यह है कि भारतीय निर्वाचन आयोग पंचायतों
और नगर निकाय चुनावों के लिए बना ही नर्ही है। राज्य निर्वाचन आयोग स्वतंत्र
रूप से पंचायतों और स्थानीय स्वशासन के चुनाव आयोजित करवाता है। फिर भी कहा जा
रहा है कि ड्राफ्ट मतदाता सूचियां भारत निर्वाचन आयोग के डाटाबेस से तैयार की
गई हैं। जब भारत का निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची में जगह जगह संशय व्यक्त किए
जा रहे हैं। आयोग की ओर से ईआरएमएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ईसीआई से प्राप्त
डाटाबेस के मतदाताओं को पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों के संबंधित
वार्ड में मैप कर ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट को ग्राम सभा व शहरी
निकायों की विशेष बैठकों में अवलोकन के लिए रखा गया था। इन बैठकों में लिए
निर्णय और लिखित कार्रवाई के आधार पर ड्राफ्ट मतदाता सूचियां तैयार की गई हैं।
हिमाचल राज्य चुनाव आयोग शुरुआत ही गलत कर चुका है। जो
उसने बीएलओज को घर घर भेजकर मतदाता सूचियां नहीं बनवाई हैं। फिर भी राज्य चुनाव
आयोग को यह गारंटी तो लोगों को देनी होगी कि एक ही मकान में कई लोगों के जाली
वोट न बने हों। मतदाता कम से कम छह मास से उसे वार्ड में रह रहा हो। किसी भी
प्रत्याशी या उसके सहयोगियों ने एक ही स्थान पर या अलग अलग जगाहों पर जाली वोट
न बनवा लिए हों। जिनके वोट काटे गए हैं या जिनकी मृत्यु हो गई हैं उनके वोट
किससे प्राप्त सूचना के आधार पर कटे हैं और जिनके वोट जोड़े गए हैं उनमें बीएलओज
की क्या भूमिका रही है।
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